अमिताभ पाण्डे : बिहार का लाल जिसने चाँद तक के सफर में दिलाई अद्भुत सफलता।
अमिताभ बिहार के समस्तीपुर जिले के कुबौली गांव के निवासी है। बिहार के इस सपूत ने बिहार का नाम इसरो तक रौशन किया है। इसरो के वरीय वैज्ञानिक अमिताभ चंद्रयान-2 मिशन के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर व ऑपरेशन डायरेक्टर रहे।
उनकी पत्नी डॉ ममता सिंह पीएमसीएच के नेत्र विभाग में सीनियर रेजीडेंट है। वे अपने पति के योगदान और देश सेवा के बारे में बताती है की, “अमिताभ में काम के प्रति गजब का लगन है। वे अपने प्रोजेक्ट को लेके कई घंटे लैब में ही गुजरते है। उनकी लगन और कार्यनिष्ठा ईश बात से पता चलती है कि वे अपने प्रोजेक्ट को लेके हर वक़्त चिंतित रहते है और इस दौरान वे मोबाइल फ़ोन का भी प्रयोग नही करते है।
बचपन का खेल जीवन का महत्वपूर्ण मिशन बन गया।

अमिताभ बचपन मे खेल खेल में रेडियो के काल पुर्जे और दूसरी एसल्ट्रॉनिक चीजे खोलते और उसे दोबारा जोड़ते थे।
बचपन के खेल से अभ्यास करने वाले अमिताभ ने देश के इतने महत्वपूर्ण मिशन में प्रमुख़ भागीदारी निभाई। इनके इस सफलता से उनका गांव और पूरा बिहार गौरवान्वित है।उन्होंने अपनी ज्यादातर पढ़ाई बिहार से ही पूरी की है। वर्ष 1989 में एऎन कॉलेज में उन्होंने आइएससी में दाखिला लिया और एमएससी इन इलेक्ट्रॉनिकस तक कि पढ़ाई यही से पूरी की। बाद में उन्होंने बआईटी मेशरा से एमटेक की पढ़ाई की। एमटेक करने के अंतिम वर्ष में ही उन्होंने प्रोजेक्ट वर्क के लिए इसरो के तीन केंद्रों पर आवेदन दिया । जिसके बाद उन्हें जोधपुर केंद्र से बुलावा आया। वर्ष 2002 में वे इसरो से जुड़े जिसके बाद उन्हें चंद्रयान-2 मिशन के लिए चुना गया। उन्होंने इस प्रोजेकट मे महत्वपूर्ण योगदान दिया