कहते है कि कुछ करने का हौसला हो तो दुनिया की कोई भी ताकत उसे रोक नहीं सकती। आज बात एक ऐसे हीं बेहद कम उम्र वाले शख्स शशांक की। वैसे तो किसी भी इंसान की जिंदगी का सबसे हसीन पल उसका बचपन होता है। बचपन एक ऐसी अवस्था है जिसमें बच्चे बाहरी दुनिया से ज्यादा ताल्लुक नहीं रखते हैं। पर कुछ ऐसे बच्चे भी होते हैं जो कम उम्र में ही अपने कृत्यों से दुनिया में अपना नाम रौशन कर लेते हैं। मात्र 13 वर्ष की उम्र में शशांक अमेरिकी कंपनी में CEO बन कर देश ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया का नाम रौशन किया है।
शशांक कुमार जो बिहार के नवादा जिले के बरबीघा के रहने वाले है। 13 वर्ष के शशांक कुमार जीआईपी पब्लिक स्कूल में वर्ग 9 के छात्र है। इनके पिता संजय कुमार तैलिक बालिका उच्च विद्यालय के प्राचार्य हैं। इतनी कम उम्र में शशांक ने मोबाईल के 50,000 से अधिक यूजर वाले ऐप बनाकर दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। माता पिता के लिए यह बहुत गर्व की बात होती है कि उनका बेटा इतनी कम उम्र में दुनिया में अपना और उनका नाम रौशन करे।
शशांक ने बीओजीयूई म्यूजिक ऐप बनाकर दुनिया भर के हजारों यूजर्स के बीच एक अलग पहचान स्थापित किया है। वह देश के सबसे कम उम्र के एण्ड्राइड प्रोग्रामर का सम्मान पाने वाले शख्स हैं। वर्ल्ड लेवल पर ओरेकन के तत्वावधान में आयोजित होने वाले प्रतियोगिता परीक्षा में बीटेक एवं इंटर के छात्रों को पछाड़ते हुए उन्होंने यह सर्टिफिकेट प्राप्त किया है। ऐसे होनहार छात्र को अमेरिकन स्टार्टअप कंपनी ने 51 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ CEO बनाया है।

इतनी बड़ी सफलता के बाद शशांक को विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने इतना बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है। उन्होंने बताया की वह बीटेक और एमटेक के छात्र-छात्राओं के लिए भी एक ट्यूटोरियल ऐप बना रहे है। वह एक ऐसा अलार्म भी बना रहे है जिसके द्वारा लोगों के क्षेत्र के वेदर रिपोर्ट के साथ मोबाइल पर बिताए गए समय और किए गए काम की तुलना में सोने के उचित समय का भी संकेत देगा।
शशांक एक ऐसे होनहार छात्र है कि इन सभी कामों के बीच अपने पढ़ाई को नजरअंदाज नहीं करते हैं। उन्होंने बताया की वह पहले अपने पाठ्यक्रम को पूरा करते है उसके बाद दूसरा काम करते हैं। उन्होंने ये भी बताया कि बेसिक कंप्यूटर शिक्षा भी अपने बड़े भाई के पुरानी किताब से लिया है। वह कहते है कि और जानकारियों के लिए इंटरनेट का सहारा लेते हैं। दो वर्ष के भीतर इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने वाले इतने कम उम्र में शशांक भारत के दूसरे स्थान पर हैं।
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शशांक अपने आगे के लक्ष्य के बारे में बताते है कि वे एक ऐसा एप्प बनाना चाहते है जिससे ब्रह्मांड के अनसुलझे रहस्यों को जाना जा सके।
छोटी सी उम्र में सफलता की पराकाष्ठा बनकर शशांक ने कई बच्चों के लिए एक प्रेरणा कायम की है। वे आगे भी अपना प्रयास जारी रखें हुए हैं। शशांक आजकल के बच्चों के लिए एक प्रेरणा है।